Arijit Singh
इक सँवारी सी लड़की बावरी सी
गुस्से में पत्ते सी कांपती सी
जो मेरा ज़िक्र सुने भूल से भीतरक़ीबों से दिल हो ढाँपती सी
वो लड़की मिल जाए तो कहना
हाँ वो लड़की मिल जाए तो कहना
धुप में पलकों को कस के वो मीचती
चलती हो ज़िन्दगी के कश कहीं खींचती
वो लड़की मिल जाए तो कहना
हाँ वो लड़की मिल जाए तो कहना, आ
थोड़ी थोड़ी आँखें नम
बातों में था फिर भी दम
हंसी नहीं थी वो ऐसी
जो बात में यूँही उड़ जाए
रात में यूंही घुल जाए ना ना ना
वो लड़की मिल जाए तो कहना
हाँ वो लड़की मिल जाए तो कहना
धुप में, पलकों को कस के वो मीचती
चलती हो, ज़िन्दगी के कश कहीं खींचती
वो लड़की मिल जाए तो कहना
हाँ, वो लड़की मिल जाए तो कहना...